श्री राज बिसारिए
संस्थापक निदेशक
हिन्दी रंगमंच के प्रमुख हस्ताक्षर ख्यातिनामा निर्देशक, अभिनेता, रंगशिक्षाविद् राज बिसारिया लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी, ड्रामा और पोयट्री का अध्यापन करते हुए 1998 में प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए।
अपने कलाकर्म से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित राज बिसारिया 1975 में भारतेन्दु नाट्य अकादमी (तब भारतेन्दु नाट्य केन्द्र) के संस्थापक निदेशक रहे। ६० के दशक में राज साहब ने ʺथियेटर आर्ट्स् वर्कशाप‘ की स्थापना की। वर्तमान में आप इस संस्था के अध्यक्ष एवं कला निदेशक हैं।
दो दर्जन से अधिक टी०वी० नाटकों. धारावाहिकों और फिल्मों में आपने बतौर अभिनेता ख्याति अर्जित की।
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी रंग–निर्देशक, रंग–शिक्षाविद्, अध्येता व अभिनेता राज साहब को ʺपद्मश्री‘ (1990), यश भारती (1994), उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी सम्मान (1988), फैनविभूषण अवार्ड (2000), केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी नईदिल्ली सम्मान (2004), राष्ट्रीय नाट्यविद्यालय सम्मान (2004), एवं चमनलाल मेमोरियल अवार्ड (2012) से नवाजा गया।
राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के लगभग 70 नाटकों का आपने कलात्मक प्रस्ततिकरण जनमानस के समक्षकिया। आप द्वारानिर्दशित चर्चित नाटकों में अंधायुग सुनो जनमेजय अकेला जीव सदाशिव बाकी इतिहास गार्बो आधे–अधूरे गुफावासी सुनीति (कैन्डिडा), लूट, जू स्टोरी, ब्लैक कॉमेडी, भालू, पैगाम, जुबली, जूलियस सीजर, एक और द्रोणाचार्य, पिता, राज, मैकबेथ, किंगलियर व्हाइट लायर्स, एंटीगनी आदि प्रमुख है।
आधुनिक नाटकों के मंचन के साथ ही उत्तर प्रदेश के लोकनाट्य नौटंकी शैली में आपने सत्यवान–सावित्री जैसी चर्चित प्रस्तुति भी दी।