रैगिंग पर प्रतिबन्ध

  1. चुने गये छात्रों और उनके अभिभावकों को छात्रों के अच्छे आचरण का विश्वास दिलाने के लिए निर्धारित प्रपत्र में वचन देना होगा। वचन का उल्लंघन करने पर उचित कार्यवाही की जा सकती है, जिसमें निलंबन ⁄ निष्कासन भी शामिल हो सकता है। उच्चतम न्यायालय के डब्ल्यू पी (सी) सं० 656 ⁄ 1998 में दिनांक 4/5/2001 के आदेशों के अनुसार इस वचन को दिए जाने की आवश्यकता है,जिसका संबंधित भाग पुनःनिम्न प्रकार तैयार किया गया है :
  2. संस्थानों द्वारा प्रवेश के लिए दिये जाने वाले विज्ञापन के समय से ही रैगिंग के विरूद्ध आंदोलन शुरू कर देना चाहिए। प्रवेश प्रार्थियों के लिए जारी किए जाने वाले प्रोस्पैक्टस प्रवेश के लिए फार्म और ⁄ या अन्य किसी साहित्य सामग्री में स्पष्ट तौर पर यह उल्लिखित किया जाए कि संस्थान में रैगिंग पूर्णतः प्रतिबंधित है और जो भी कोई रैगिंग में शामिल पाया जाएगा उसको यथोचित रूप से दंडित किया जाएगा। ऐसे दंड में सस्थान सेनिष्कासन संस्थान या कक्षाओं से सीमित अवधि के लिए निलंघन या जुर्माने के साथ–साथ सार्वजनिक तौर पर क्षमा–याचना शामिल हो सकते हैं।निम्न तरीके भी दंड में शामिलहो सकते है।
    • अन्य प्रकार के लाभों या छात्रवृत्तियों पर रोक।
    • गतिविधियों में प्रदर्शन से वंचित होना।
    • परिणाम पर रोक।
    • छात्रावास या मैस से निलंबन या निष्कासन।
  3. यदि रैगिंग को नियंत्रित करने का किसी कानून या विधान ⁄ अध्यादेश में किसी भी तरह का ऐसा प्रावधान है तब यह प्रवेश लेने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों के ध्यान में लाया जाना चाहिए।
  4. प्रवेश ⁄ नामांकन के लिए आवेदन प्रपत्र में शपथ पत्र छपवाया जाना चाहिए जो अभ्यर्थी द्वारा भरा और हस्ताक्षरित किया जाए जिससे कि रैगिंग करने पर उनको मिलने वाले दंड के बारे में और रैगिंग के प्रति संस्थान के दृष्टिकोण के बारे में उन्हे जानकारी हो। इसी प्रकार का वचन आवेदक के अभिभावक से भी प्राप्त किया जाए।

ऐसे संस्थान जो कि इस प्रकार की प्रणाली को पहली बार अपने संस्थान में शुरू कर रहे हों यह सुनिश्चित कर लें कि अगले शैक्षिक वर्ष ⁄ सत्र प्रारंभ होने से पूर्व वे संस्थान में पहले से ही अध्ययन कर रहे छात्रों और उनके अभिभावकों से उक्त शपथ पत्र प्राप्त कर लें।

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