भारतेंदु नाट्य अकादमी
आधुनिक हिन्दी एवं नाट्य लेखन के जनक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की स्मृति में नाट्य कला के विभिन्न पक्षों पर गहन व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु ʺ भारतेन्दु नाट्य केन्द्र‘‘ की स्थापना अगस्त 1975 में संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा की गयी। नाट्य विधा में विधिवत् प्रशिक्षण कार्य 5 अप्रैल, 1976 से प्रारम्भ हुआ। यह संस्थान 1981 में भारतेन्दु नाट्य अकादमी के नाम से अभिहीत किया गया एवं द्विवर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारम्भ हुआ। अकादमी एक स्वायत्तशासी संस्थान है जिसे वित्तीय सहायता संस्कृति विभाग से प्राप्त होती है।
नाट्य विधा में दो वर्ष के पाठ्यक्रम में अकादमी द्वारा भारतीय एवं पाश्चात्य नाट्य साहित्य, अभिनय, स्वर–संभाषण, गति संचालन, मूकाभिनय, आशु–अभिनय (इम्प्रोवाइजेशन), रंग–स्थापत्य मंच सज्जा, वेशभूषा, रूप सज्जा, मंच प्रकाश परिकल्पना, निर्देशन एवं प्रस्तुति प्रक्रिया आदि पर सघन प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
अकादमी के चार मंजिले भवन, स्टूडियो थियेटर अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित प्रेक्षागृह, अध्ययन व अध्यापन के वातावरण को गहन एवं गंभीर बनाने के लिए आधुनिक कक्षायें ऑडियो–वीडियो तथा थियेटर से संबंधित नयी पुस्तकों से पूर्ण पुस्तकालय, कम्प्यूटर, इन्टरनेट तथा छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध है।
उत्तर प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में नाट्य विधा के प्रचार–प्रसार के लिए अकादमी द्वारा एक व्यावसायिक रंगमण्डल की स्थापना की गयी है। रंगमण्डल की प्रस्ततियां उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न शहरों एवं प्रान्तों में भी होती रहती हैं।
नियमित द्विवर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में नाट्यविधा में प्रशिक्षण प्रदान के लिये कार्यशालाओं का आयोजन भी अकादमी करती रहती है। निश्चय ही इन कार्यशालाओं से रंग–चेतना का संचार होता है।
प्रशिक्षार्थियों तथा अन्य रंग प्रेमियों का साक्षात्कार राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय रंगकर्म से कराने के उद्देश्य से अकादमी द्वारा समय–समय पर स्वंय तथा राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के सहयोग से नाट्य समारोहों का आयोजन किया जाता है।
अन्तिम वर्ष के छात्रों कोफिल्म व टी०वी० की प्रस्तुति प्रक्रिया के सैद्धान्तिक व व्यवहारिक ज्ञान द्वारा मीडिया के प्रति जागरूक किया जाता है। डिप्लोमा पाठ्यक्रम में उत्तीर्ण होने पर एक वर्ष की इन्टर्नशिप का भी प्राविधान है।
भारतेन्दु नाट्य अकादमी की पहचान देश में अपनी कलात्मक सर्जनशील प्रस्तुतियों के कारण हुई है। अकादमी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निरन्तर आगे बढ़ रही है।