परिचयात्मक कार्यक्रम में भारत की सांस्कृतिक विरासत, कलाः चित्रकला, मूर्तिकला, स्थापत्यकला, नृत्यकला और लोक–कलाओं एवं फिल्म आदि। विषयः दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान, राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र, सामान्य ज्ञान और वर्तमान घटनाक्रम आदि। सत्र के प्रारम्भ में यह कार्यक्रम दो से चार सप्ताह चलेगा।
अभिनयः
योगाभ्यास, नृत्य गति संचालन, अभ्यासों के माध्यम से स्वयं की तैयारी लय व गति का ज्ञान कराना एवं एकाग्रता पैदा करना। इसके साथ ही स्वर संभाषण हेतु स्वर के अभ्यास हेतु संगीत का सहयोग लेते हुए विभिन्न श्वास प्रक्रिया व इसको नियंत्रित करने के अभ्यास करना। मूकाभिनय स्वर एवं संभाषण पर विशेष बल एकालाप का वाचन कविता एवं कहानियों का पाठ। दृश्यों पर कार्य करना। दृश्य पर अकेले साथी के संग और समूह पर कार्य करना। आशुसर्जना पर कार्य। इसके साथ ही स्तानिसलाव्सकी की अभिनय सिद्धान्त की प्रारम्भिक जानकारी। अभ्यासपरक कक्षा प्रस्तुति।
नाट्य साहित्य का अध्ययन
भारतीय शस्त्रीय नाट्रयः नाट्य एवं नाट्य शास्त्र की उत्पत्ति। नाट्य शास्त्र के अध्यायों का संक्षिप्त ज्ञान। संस्कृत के नाटककारों एवं उनके नाटकों का परिचय यथा– भास, कालिदास, शूद्रक, बोधायन। संस्कृत नाटकों से लेकर आधुनिक भारतीय नाटकों की विकास यात्रा। कथावस्तु इतिवृत, दशरूपक, रंगमंडप, अभिनय के प्रकार, रस सिद्धान्त। संस्कृत के महत्वपूर्ण नाटकों का बहुआयामी नाटकीयविश्लेषण एवं तुलनात्मक ज्ञान। वृत्तियां क्या हैंॽ वृत्तियों के प्रकार।
आधुनिक भारतीय नाटकः स्वतंत्रता पूर्व भारतीय नाटकों की स्थिति। आधुनिक भारतीय नाटकों की क्रमिक विकास यात्रा भारतेन्दु से वर्तमान तक। उत्तर प्रदेश के लोक नाट्य– नौटंकी रासलीला रामलीला व्यापक परिचय। आधुनिक नाटकों में मोहन राकेश, विजय तेंदुलकर, बादल सरकार, धर्मवीर भारती, गिरीश कर्नाड आदि का विस्तृत समसामयिक विश्लेषण।
पाश्चात्य नाट्यः नाटक की उत्पत्ति, तत्व और स्वरूप आर्स, पोयटिका का सामान्य अध्ययन, ग्रीक और रोमन ड्रामा का विशेष अध्ययन, सत्रहवीं शताब्दी तक ड्रामा के विकास का सामान्य अध्ययन। नाटक की संरचना पाठ एवं रंगमंचीय संदर्भ में इसका विश्लेषण अंधकाल (डार्क एज) से पन्द्रहवीं शताब्दी के अन्त तक का यूरोप का मध्ययुगीन नाटक। ग्रीक नाटकों का अध्ययन। पन्द्रहवीं शताब्दी से सत्रहवीं शताब्दी तक नाटक की सामानय धाराओं का अध्ययन। मारलो, बेन जॉनसन, शेक्सपीयर आदि के नाटकों काविस्तृत अध्ययन। पाश्चात्य नाटकों में सौन्दर्यबोध।
मंचशिल्पः
मंचशिल्पः रंगमंच का उद्भव पाषाण युग से प्रारम्भ होकर ग्रीक व रोमन तक विकास एवं रंगशाला स्थापना भारतीय शस्त्रीय रंगस्थापत्य का विस्तृत अध्ययन एवं रेनेसा व एलिजाबेथन काल के रंगस्थापत्य का अध्ययन ⁄ मंच सज्जा की आवश्यकता, उद्देश्य एवं विभिन्न प्रकार के रेखाचित्र सिद्धान्त एवं व्यावहारिक कार्य काष्ठकला का प्रारमिभक ज्ञान। रंगदीपन की आवश्यकता एवं विभिन्न प्रकार के उपकरणों एवं यंत्रों का परिचय रंगदीपन रेखाचित्र एवं व्यावहारिक कार्य। आधुनिक रंगमंच में मंच व्यवस्था का महत्व एवं विभिन्न पक्षों का परिचय। रंगदीपन मुख सज्जा वेशभूषा मंच सामग्री एवं मंच व्यवस्था के माध्यम से व्यावहारिक कार्य एवं कक्षा अभ्यास प्रस्तुति।
निर्देशन
निर्देशन का इतिहास, निर्देशन क्या हैॽ निर्देशक का योगदान एवं कार्य का व्यापार, प्रस्तुति प्रक्रिया के तत्वों का परिचय एवं व्यवहारिक कार्य। शेक्सपीयर काल से आधुनिक समय तक निर्देशक का अविर्भाव प्रस्तुति प्रक्रिया के तत्वों से परिचय एवं व्यावहारिक कार्य। राइनहार्ट अपिया, क्रेग, ड्यूक ऑफ सैक्समाइनगैन आदि का विशेष संदर्भ, प्रस्तुति प्रक्रिया के तत्वों से परिचय एवं व्यावहारिक कार्यं।