संकाय

मनोज कुमार मिश्रा
प्रशिक्षक
मंच शिल्प

26 मई, 1980 को रीवा मध्यप्रदेश जन्म। बचपन से ही रंगमंच पर कार्य करते हुए अपने को परिपक्व किया। मंच परिकल्पना, प्रकाश परिकल्पना, वेशभूषा, मुखौटा निर्माण पर विशेष रुचि रही। नाट्य विधा में मध्य प्रदेश राज्य स्तरीय विजेता दल के सदस्य रहे। आपने पद्मश्री शम्भू हेगड़े जी के सानिध्य में यक्षगान का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया साथ ही लोक तत्व, अभिनय एवं निर्देशन की बारीकियां अलखनन्दन जी के सानिध्य में सीखते हुए भारतेन्दु नाट्य अकादमी लखनऊ से रंगमंच का विधिवत द्विवर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त किया तदोपरांत आपका चयन अकादमी में ही एक वर्षीय इंटर्नशिप के लिए हुआ। आपने फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से विस्तृत प्रशिक्षण एवं फिल्म एप्रिसिएशन प्रशिक्षण प्राप्त किया।

आप मण्डप सांस्कृतिक शिक्षा कला केन्द्र के निदेशक एवं रेनेसाँस थियेटर गया (बिहार) में तकनीकी निदेशक रहे। आपको संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा रंगमंच विषय पर जूनियर फैलोशिप अवार्ड दिया गया है।

पद्मश्री राज बिसरिया, पद्मश्री रामगोपाल बजाज, पद्मश्री बंसी कौल, अलखनन्दन, सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, बी. जयश्री, आलोपी वर्मा, प्रोवीर गुहा, बापी बोस, आलोक चटर्जी आदि प्रसिद्ध नाट्य निर्देशकों के सानिध्य में कार्य। अपने 50 नाट्य प्रस्तुतियों में अभिनय, 30 नाटकों की मंच परिकल्पना, एक सैकड़ा से अधिक नाट्य प्रस्तुतियों की प्रकाश परिकल्पना, 20 से अधिक नाट्य प्रस्तुतियों की वेशभूषा परिकल्पना के साथ ही रूप सज्जा का कार्य कुशलता पूर्वक किया है। आपने रीवा मध्यप्रदेश में गैरेज थियेटर का निर्माण किया है।

वर्ष 2010 से भारतेन्दु नाट्य अकादमी में अतिथि प्रशिक्षक एवं प्रवेश समिति का सदस्य हैं। मध्यप्रदेश नाट्य विद्यालय की गुणवत्ता कमेटी के सदस्य एवं अतिथि प्रशिक्षक एवं एच सी आर एफ टी आर, मंडी, हिमाचल प्रदेश में अतिथि प्रशिक्षक रहे।

आपने मध्यप्रदेश नाट्य समारोह, भारत रंग महोत्सव, भारत पर्व, मण्डप महोत्सव, संस्कृति महोत्सव, देहात लोक रंगपर्व, लोकोत्सव आदि नाट्य समारोहों में प्रस्तुतियां एवं संयोजन का कार्य किया है।

8 नाटकों का लेखन एवम 10 नाटकों का रूपांतरण किया है साथ ही दो पुस्तकें प्रकाशनाधीन है।

रंगमंच के लिए किये जा रहे अभिनव प्रयासों को देखते हुए आपको विन्ध्य शिखर सम्मान, मध्यप्रदेश युवा निर्देशक सम्मान तथा लोक गौरव सम्मान प्राप्त हुआ है।

शुभदीप राहा
प्रशिक्षक
अभिनय संकाय

एनएसडी एवं मेट फिल्म स्कूल लंदन के पूर्व छात्र एवं समाजशास्त्र में स्नातक है।

सघन अभ्यास एवम कला कौशल के माध्यम से प्रशिक्षण देने में पारंगत हैं। देश के तमाम अभिनय प्रशिक्षण संस्थानों में शिक्षण का लंबा अनुभव है। अपने टी सीरीज स्टेज वर्क अकादमी, गुवाहाटी में सीईओ और मार्गदर्शक अभिनय प्रभाग में अपनी सेवाएं दी हैं।

एन एक्टर प्रिपेयर्स के अहमदाबाद, चंडीगढ़ और मुम्बई स्थित शाखाओं में बतौर संकाय प्रमुख एवम अभिनय विशेषज्ञ के रूप में सेवाएं दी हैं।

उत्तर प्रदेश, लखनऊ स्थित प्रख्यात नाट्य विद्यालय भारतेन्दु नाट्य अकादमी में वर्ष 2012 से अतिथि प्रशिक्षक हैं आप इंदिरा स्कूल ऑफ कम्युनिकेशंस, एक्टिंग एकेडमी में रचनात्मक निदेशक रहे। पांच मौलिक नाटकों का लेखन किया है।

वर्ष 2017 में विश्व थियेटर कागे्रंस स्पेन में आयोजित हुआ, जिसमें भारत की ओर से विशेष कलाकार प्रतिनिधि के रूप में आपने शिरकत की।

गोविन्द सिंह यादव
प्रशिक्षक
मंच शिल्प

जन्म स्थान इलाहाबाद। रंगमंच के प्रारंभिक दिनों से अभिनय, प्रकाश परिकल्पना एवं कथक नृत्य में आपका लगाव रहा। आपने भारतेन्दु नाट्य अकादमी एवम राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से रंगमंच का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रकाश परिकल्पक एवं नाट्य निर्देशक के रूप में रंगमंच की यात्रा अनवरत जारी है। रंगमंचीय यात्रा में आप के निर्देशन में मिस जूली, शीशे के खिलौने, तानसेन जैसे नाटकों के मंचन भारत रंग महोत्सव तथा देश के अनेक प्रतिष्ठित नाट्य महोत्सव में हुए हैं। साथ ही आपके अन्य नाटकों में - खामोश! अदालत जारी है, कबीरा खड़ा बाजार में, घुवस्वामिनी, आधे अधूरे, दो कौड़ी का खेल, अंधायुग, हलाल खोर एवं लोलिता जैसे नाटकों का निर्देशन एवं प्रकाश परिकल्पना प्रमुख है।

वर्ष 2008 में आपको प्रकाश परिकल्पना के लिए संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार प्राप्त हुआ है एवं वर्ष 2018 का ‘मनोहर सिंह पुरस्कार’ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा प्रकाश परिकल्पना में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आपको प्रदान किया गया।

प्रकाश परिकल्पना के उच्च अध्ययन हेतु कुरियन एंबेसी द्वारा दक्षिण कोरिया में प्रशिक्षण दिया गया साथ ही राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से रॉयल एकेडमी आफ ड्रैमेटिक आर्ट्स (RADA) से अध्ययन कार्यशैली का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

रंगमंडल राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली, ‘थियेटर इन एजुकेशन’ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एवं छात्रों की प्रस्तुतियों में प्रकाश परिकल्पना के नए मानक तय किए। आपने नाट्य प्रस्तुतियों के साथ ही शास्त्रीय नृत्यों कथक, कुचीपुड़ी, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम एवं समकालीन नृत्यों में प्रकाश परिकल्पना की है। लंदन, सिंगापुर, जिम्बाब्वे, इजिप्ट, बैंकॉक, थाईलैंड, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, कंबोडिया, लाओस, मॉस्को एवम ब्लाडिवास्टा इत्यादि देशों में प्रकाश परिकल्पक के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। अकादमी के पूर्व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल में मंच व्यवस्थापक व प्रकाश परिकल्पक के पद पर 6 वर्ष शासकीय सेवा में थे।

सुमित श्रीवास्तव
प्रशिक्षक
शास्त्रीय एवं भारतीय आधुनिक रंगमंच

सुमित श्रीवास्तव युवा रंग निर्देशक हैं, आप एक दशक से देश के विभिन्न महानगरों एवं अंचलों में अनेक नाटकों की प्रस्तुति कर चुके हैं। सुमित श्रीवास्वत नें महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ से बी०ड्रामा और पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के थियेटर और टेलीविजन विभाग से परास्नातक एवं यहीं से ‘नाट्य शास्त्र एवं आधुनिक हिन्दी नाटक’ विषय पर शोध कार्य किया हैं। आपने देश के प्रतिष्ठित रंग निर्देशकों के साथ कार्य किया है जिनमें देवेन्द्र राज अंकुर, संजय उपाध्याय, प्रो० सुनीता धीर, प्रो० नवनिंद्रा बहल, केवल धालीवाल, रॉबिन दास, दिनेश खन्ना, प्रो० सत्यव्रत राउत, डा० गौतम चटर्जी, पद्यश्री नीलममान सिंह, पद्यश्री बंसी कौल, डॉली अहलुवालिया आदि प्रमुख हैं। सुमित श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नाटक, अंधायुग, चेरी का बागिचा, गगन दमामा बाज्यों प्रतिमा, सुनो अम्रपाली, स्पेस, कोरस, स्माइलिंग डेथ, आईना, अवरूद्ध, सृष्टि का आखिरी आदमी, आवाज का नीलाम, गजब की हमारी काशी, मालवीय संवाद, गंगा के महामना, द महामना कंन्शन्सकीपर, मंत्र, मैकू, किंग लियर, गेशे जम्पा इत्यादि ने आपको राष्ट्रीय रंगमचीय पटल पर स्थापित किया है।

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