अभिनयः योगाभ्यास, युद्ध कला का ज्ञान, स्वर एवं संभाषण पर अभ्यास करना। चरित्र चित्रण एवं स्तानिसलाव्सकी अभिनय सिद्धान्त पर व्यावहारिक कार्य। आशुरचना, अकेले, साथी के संग एवंसमूह के साथ कार्य। दृश्यों पर कार्य। तकनीकी एवंसिद्धान्त। ब्रेख्त ग्रोतावस्की एवं अन्य के अभिनय सिद्धानतों की जानकारी। कक्षा अभ्यास प्रस्तुति।
भारतीय शास्त्रीय नाट्यः
नाट्य शास्त्र के अन्तर्गत अभिनय के विभिन्न प्रकारों का विस्तृत ज्ञान। नाटकों में प्रयोग होने वाले रंग तत्व। सूत्रधार, विदूषक, चित्राभिनय, सात्विक अभिनय का संस्कृत नाट्य शैली के अन्तर्गत विश्लेषण एवं महत्व। प्रेक्षक और प्रश्निक। नायक–नायिका भेदविस्तृत वर्णन।सिद्धी बाधा दोष। संस्कृत नाटककारों यथा–हर्षवर्धन अश्वघोष भवभूति के बारें में चर्चा एवं नाटकीय कथानकों का परिचय। संस्कृत के अर्वाचीन एवं परवर्ती युगीन नाटककारों का ज्ञान एवं शास्त्रीय पारम्परिक एवं लोक नाट्य मेंविभेद तथा अन्तर्सम्बन्ध।
आधुनिक भारतीय नाटकः
स्वतंत्रता पश्चात भारतीय नाटकों का विस्तृत अध्ययन। वर्तमान में चर्चित नाट्य साहित्य का गहन विश्लेषण। पारसी नाट्य शैली का विस्तृत अध्ययन, विश्लेषण उसके पतन के कारण। हिन्दी नाटक के विकास के क्रम में रंग मंच के बदलते स्वरूप का बोध। महत्वपूर्ण भारतीय नाटकों को सम–सामयिक दृष्टिकोण से विश्लेषणात्मक अध्ययन।
पाश्चात्य नाट्यः
उन्नीसवीं शताब्दी तक रंगमंच की प्रमुख धारायें उन्नीस सौ से उन्नीस सौ पचास तक पश्चात्य नाटक तथा इस समय की प्रमुख धाराओं एवं विश्व प्रसिद्ध नाटककारों के नाटकों का अध्ययन। उन्नीस सौ पचास से वर्तमान समय तक पश्चात्य नाट्य साहित्यका अध्ययन। इस समय की प्रमुख धारायें तथा रंगस्थापत्य अभिनय और निर्देशन से इसका सम्बन्ध। इस समय के विश्व प्रसिद्ध नाटककारों के नाटकों का अध्ययन तथा चित्रकला स्थापत्य कला एवं अन्य माध्यमों से सौन्द्रर्यबोध की जानकारी।
मंच शिल्पः
भारतीय शास्त्रीय रंगशाला वास्तुशिल्प का विस्तृत अध्ययन के अतिरिक्त एशियाई रंगशाला चीन, जापन इत्यादि के वास्तुशिल्प का विस्तृत अध्ययन। मंच सज्जा की विभिन्न शैलियों के विस्तृत अध्ययन के साथ विभिन्न प्रकार के रेखाचित्र तैयार करना। रंगदीपन के सिद्धान्त एवं अभिकल्पना प्रक्रिया का अध्ययन। वेशभूषा, अभिकल्पना–माध्यम, सामग्री एवं शैली का विस्तृत अध्ययन। काष्ठकला का व्यावहारिक कार्य। भारतीय रंगशाला वास्तशिल्प की वर्तमान धारा के अतिरिक्त विश्व रंगमंच का आधुनिक वास्तशिल्प ⁄ दृश्यबन्ध अभिकल्पना एवं दृश्यबन्ध निर्माण। रंगदीपन अभिकल्पना एवं व्यवहारिक कार्य। शैलीकृत व उच्च स्तरीय मुख सज्जा का परिचय व चरित्र कीविशेष आवश्यकताओं के अनुरूप मुख सज्जा का परिचय व चरित्र की विशेष आवश्यकताओं के अनुरूप मुख सज्जा पर विशेष कार्य। मुख सज्जा, रंग दीपन, वेशभूषा व मंच सामग्री परविशेष व्यवहारिक कार्य एवं किसी एक नाट्य प्रस्तुति की प्राम्प्ट करने का व्यवहारिक कार्य।
निर्देशन
निर्देशन के आधारभूत सिद्धांत, अभिनेता एवं निर्देशक के सम्बन्ध, बीसवीं शताब्दी के महत्वपूर्ण निर्देशक और उनका योगदान, प्रस्तुति प्रक्रिया, नाट्यलेख की व्याख्या एवं विश्लेषण, व्यावहारिक कार्य। बीसवीं शताब्दी के महत्वपूर्ण निर्देशक और उनका सृजनात्मक योगदान, किसी एक अंकीय नाटक, कहानी, कविता का रूपान्तरण एवं उसकी निर्देशन प्रक्रिया पर व्यवहारिक कार्य। अभिकल्पना, व्याख्या, अभिनेता पर कार्य तथा प्रस्तुति से सम्बन्धित अन्य पक्षों पर व्यावहारिक कार्य।
प्रस्तुति
- अतिथि निर्देशकों की उपलब्धता एवं पर्याप्त वित्तीय संसाधन होने पर दो प्रस्तुतियों का मंचन निदेशक के विवेकानुसार किया जा सकता है। उक्त के अतिरिक्त प्रथम व द्वितीय वर्ष की कक्षाओं में अभ्यासपरक प्रस्तुतियाँ तैयार की जायेंगी। कक्षा अभ्यास प्रस्तुति पर कार्य प्रस्तुतिपरक कम अध्यापनपरक अधिक रखा गया है। प्रथम वर्ष के छात्रों को उनकी योग्यता, क्षमता के अनुसार द्वितीय वर्ष की प्रस्तुति में भाग लेने के लिए निदेशक द्वारा अनुमति प्रदान की जा सकती है।
- प्रस्तुति संबंधी कार्यो हेतु छात्रों को स्थानीय रूप से अकादमी के बाहर भेजा जा सकता है। प्रस्तुति संबंधी कार्य छात्रों के व्यवहारिक प्रशिक्षण का एक अंग है। अतः उन्हें किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक ⁄ मानदेय देय न होगा।
- अकादमी ⁄ रंगमण्डल की प्रस्तुतियों में छात्रों को निर्देशानुसार कार्य सम्पन्न करना होगा जिसके लिये किसी प्रकार का पारिश्रमिक ⁄ मानदेय देय न होगा।
विविध
द्वितीय वर्ष के छात्रों को अन्तिम सत्र में फिल्म एवं टेलीविजन कार्यक्रम निर्माण का प्रारम्भिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जायेगा।